विद्युतचुम्बकीय तरंगों (रेडियो तरंगों) का संचरण [Propagation of Electromagnetic waves
(Radio Waves)]
संचार (Communication) का अर्थ सूचना (information) के प्रेषण (transmission) से होता है। रेडियो तरंगों की सहायता से संचार में प्रेषी ऐन्टीना विद्युतचुम्बकीय तरंगें उत्सर्जित करता है। ये तरंगें अन्तरिक्ष (space) में चलकर ग्राही ऐन्टीना (receiving antenna) द्वारा ग्रहण होती हैं जहाँ पर प्रेषित सूचना का उपयोग किया जाता है।
विद्युतचुम्बकीय तरंगों के संचरण की विभिन्न विधियाँ (Different modes of propagation of electromagnetic waves)
भू-पृष्ठीय तरंगें (Ground Waves)
अन्तरिक्ष तरंगें (Space Waves)
आकाशीय तरंगें (Sky Waves)
1. भू-पृष्ठीय तरंग संचरण (Ground or Surface Wave Propagation)
रेडियो तरंगों के संचरण की इस विधि में रेडियो तरंगें ट्रांसमीटर से अभिग्राही (receiver) तक पृथ्वी के वक्रपृष्ठ के अनुदिश संचरित होती हैं। इस विधि में ऊर्जा ह्रास अधिक (high attenuation) होता है। इसी कारण यह विधि (mode) स्थानीय प्रसारण (local broadcast) के लिए ही उपयुक्त है। चूँकि इन तरंगों का ऊर्जा ह्रास आवृत्ति के बढ़ने पर तेजी से बढ़ता (rapidly increases) है। अतः इस विधि से 10 kHz से 30 kHz तक की निम्न आवृत्तियों (low frequencies) का ही संचरण (transmission) किया जाता है।
2. अन्तरिक्ष तरंग या क्षोभमण्डल तरंग संचरण (Space Wave or Tropospheric Wave Propagation)
रेडियो तरंगों के संचरण की इस विधि में रेडियो तरंगें पृथ्वी की क्षोभमण्डल (troposphere) में पृथ्वी के पृष्ठ से 12 किमी की ऊँचाई पर ट्रांसमीटर ऐन्टीना से अभिग्राही ऐन्टीना तकं पहुँचती हैं। इस विधि से 30 मेगाह से अधिक आवृत्ति · वाली रेडियो तरंगें संचरित होती हैं।
(i) टेलीविजन प्रसारण, राडार तथा उपग्रहीय दूरसंचार (satellite communication) अन्तरिक्ष तरंगों के कारण ही सम्भव है।
(ii) यदि कोई ट्रांसमीटर ऐन्टीना h ऊँचाई से विद्युत चुम्बकीय तरंगें विकरित (radiate) करता है तो इन तरंगों की परास (range) d = 2hR जहाँ R पृथ्वी की त्रिज्या है।
3. आकाशीय तरंग संचरण (Sky Waves Propagation)
रेडियो तरंगों के संचरण की इस विधि में रेडियो तरंगें पृथ्वी तल से 80 किमी ऊँचाई पर स्थित आयनित क्षेत्र, जिसे आयनमण्डल (ionsphere) कहते हैं, से परावर्तित होकर अभिग्राही ऐन्टीना तक पहुँचती हैं। यह आयनित क्षेत्र वहाँ अल्प दाब तथा सूर्य के तीव्र पराबैंगनी विकिरण (ultraviolet radiation) के कारण वायु के आयनन के कारण उत्पन्न होता है।