प्रकाशिकी क्या है ? परिभाषा ( what is optics in hindi )
प्रकाश तथा प्रकाशीय घटनाएँ
विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल —
- निर्वात 3 x 10° m/s
2. पानी 2.25 x 10 m/s
3. नाइलोन 1.96 x 10% m/s
4. काँच 2 x 10 m/s
- प्रकाश की सर्वाधिक चाल – 3 x 10 m/sec. (निर्वात में।) चाल का क्रम — (ठोस < द्रव < गैस < निर्वात)।
- भिन्न-भिन्न माध्यम में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती हैं। यह माध्यम के अपवर्तनांक पर निर्भर करता हैं। माध्यम का अपवर्तनांक अधिक होने पर प्रकाश की चाल कम होगी।
दैनिक प्रेक्षणों में निहित प्रकाशीय घटनाओं का विश्लेषण ।
(1) प्रकाश का परावर्तन (Reflection)
- प्रकाश का किसी चमकीले एवं चिकने पूष्ठ से टकराकर पुनःउसी माध्यम में लौट जाने की घटना परावर्तन कहलाती हैं।
- उदाहरण- ग्रहों, उपग्रहों, जैसे शुक्र एवं…चांद का चमकनारा दर्पण में प्रतिबिंब का दिखाई देना।
(2) प्रकाश का अपवर्तन (Refraction) –
- समांगी माध्यम में प्रकाश की चाल एक समान होती हैं। लेकिन माध्यम बदलने पर प्रकाश के वेग एवं तरंगदैर्ध्य में बदलाच आता हैं जिससे वह अपने पथ से विचलित हो जाता हैं। यह घटना अपवर्तन कहलाती हैं।
- पूर्ण आंतरिक परावर्तन हेतु दो चीजे – (1) आपतन कोण, क्रांतिक कोण से अधिक होना चाहिए (2) प्रकाश किरण सघन से विरल में जाये।
- घटनायें – हीरे (0 = 240 ) का चमकदार दिखाई देना। रेगिस्तान की मरिचिका (मृग तृष्णा) (Mirage) का दिखाई देना।
- गर्मी में सड़क पर चलते वाहनो को पानी का भ्रम होना। कांच में पड़ी दरारों का चमकना, टूटे कांच सतह का चमकना।
- जल में पड़ी परखनली का चमकना। प्रकाशीय तंतु में प्रयोग – सजावटी लैंपों में, दूर संचार लाइनों में, एण्डोस्कोपी – शरीर में आंतरिक भागों में रोग का निदान एवं उपचार हेतु।
- उदाहरण-
- पानी में डुबी पेंसिल का मुड़ा हुआ दिखाई देना।
- तारों का टिमटिमाना। आग के उस पार वस्तु का झिलमिलाते हुये नजर आना।
- सूर्योदय से पहले एवं सूर्यास्त बाद तक सूर्य का दिखाई देना।
- बाल्टी के पैंदे या तालाब तल का या गहराई का वास्तविकता से कुछ ऊपर उठा हुआ प्रतीत होना (सिक्के का भी)।
- अपवर्तन के कारण पानी, नींबू या अन्य चीज एवं सूर्योदय/सूर्यास्त के समय सूर्य का आकार का बड़ा प्रतीत होना।
- मछली का तालाब में ऊपर उठा हुआ दिखाई देना।
(3) प्रकाश का प्रकीर्णन (scattering)-
- प्रकाश का धुल कणों, धुओं के कणों से टकराकर चारों ओर
- बिखरने की घटना प्रकीर्णन कहलाती हैं।
- विभिन्न कोणों से अलग-अलग किरणें विचलित होती हैं।
- उदा0 – आकाश का नीला रंग दिखाई देना। सूर्योदय/ सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल रंग दिखाई देना।
(4) प्रकाश का विवर्तन (Diffraction) –
- अपारदर्शक अवरोध के तीक्ष्ण कोणों या किनारों से प्रकाश के मुड़ने की घटना विवतर्न कहलाता हैं। इस तरह प्रकाश उसके छाया क्षेत्र में प्रवेश कर जाता हैं।
- उदा.- दूर खगोलीय पिंडो की सतह का खुरदुरा. दिखाई देना।
(5) वर्ण – विक्षेपण —
- प्रकाश का प्रिज्म से गुजरने पर सातो रंगों में विभक्त होने की घटना वर्ण – विक्षेपण कहलाती हैं।
- सातों रंगो की रूप रेखा – वर्णक्रम कहलाता हैं। VIBGYOR
- इस घटना में लाल रंग का विचलन न्यूनतम तथा बैंगनी रंग विचलन सर्वाधिक होता हैं।
- प्राथमिक इंद्रधनुष में – दो बार अपवर्तन एवं एक बार परावर्तन होता हैं।
- द्वितीयक इंद्रधनुष में – दो बार अपवर्तन एवं दो बार परावर्तनहोता हैं।
(6) प्रकाश का व्यतिकरण –
- जब समान या लगभग समान आवृत्ति की दो प्रकाश तरंगे किसी माध्यम में एक ही दिशा में चलती हुई आपस में अध्यारोपित होती हैं तो कहीं पर प्रकाश की तीव्रता अधिकतम एवं कहीं पर न्यूनतम हो जाती हैं इस घटना को प्रकाश का व्यक्तिकरण कहा जाता हैं। साबुन के बुलबुले या फिल्म का रंगीन दिखाई देना, जल की सतह पर गिरे तेल का रंगीन दिखाई देना।