कोटा जिले में पर्यटन स्थल
जिला-कोटा
चम्बल उद्यान
- कोटा शहर में चम्बल नदी के तट पर लगभग दस एकड़ भूमि में स्थित यह उद्यान राज्य के श्रेष्ठतम उद्यानों में से एक है।
हाड़ौती यातायात प्रशिक्षण पार्क
- चम्बल उद्यान के निकट 12 एकड़ भूमि पर निर्मित यातायात पार्क राजस्थान का प्रथम व देश के सर्वश्रेष्ठ यातायात पार्कों में एक है। इसका निर्माण जुलाई, 1992 में हुआ।
संग्रहालय
- कोटा शहर के पुराने महल में स्थापित ‘महाराव माधो सिंह संग्रहालय’ में कोटा चित्रशैली की खूबसूरत राजपूत मिनियेचर पेन्टिंग तथा कोटा शासकों द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली कलात्मक वस्तुएँ भी संग्रहित हैं।
क्षारबाग
- छत्र विलास तालाब व बाग के निकट स्थित इस स्थल पर कोटा के हाड़ा शासकों की छतरियाँ राजपूत स्थापत्य कला का सुंदर नमूना है।
मथुराधीश का मंदिर
- यहाँ पाटन पोल में भगवान मथुराधीश का मंदिर है जिसके कारण यह नगर वैष्णव सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थधाम माना जाता है। देश में वल्लभ सम्प्रदाय की प्रमुख सात पीठों में से कोटा प्रथम पीठ मानी जाती है।
चारचौमा का शिवालय
- कोटा से 25 किलोमीटर दूर चारचौमा ग्राम के समीप प्राचीन शिव मंदिर है जिसे गुप्तकालीन अर्थात चौथी-पाँचवीं शताब्दी का बताया जाता है।
कंसुआ का शिव
- मंदिर कोटा शहर से लगभग 6 किलोमीटर दूर डी.सी.एम. मार्ग पर आठवीं शताब्दी का कसुंआ का शिव मंदिर है। मंदिर के परिक्रमा पथ में बाईं ओर की दीवार पर कुटिला लिपि में लिखा हुआ आठवीं शताब्दी का शिलालेख है। आम लोगों की धारणा है कि यह कण्व ऋषि का आश्रम स्थल था।
भीम चौरी
- कोटा से 50 किलोमीटर दूर ‘दर्रा’ नामक स्थल पर ‘भीम चौरी’ अवस्थित है। इतिहासकार इसे गुप्तकालीन मानकर इसका निर्माणकाल चौथी शताब्दी बताते हैं।
बूदादीत का सूर्य मंदिर
- कोटा के पूर्व में ग्वालियर की ओर जाने वाली सड़क पर दीगोद तहसील का मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर दक्षिण में बूढ़ादीत गाँव में तालाब के पश्चिम किनारे पर पूर्वाभिमुख शिखर बंध ‘सूर्य मंदिर’ स्थित है। पंचायतन शैली के मंदिर में गर्भगृह और महामण्डप दर्शनीय है।
गेपरनाथ शिवालय
- कोटा के आसपास महत्त्वपूर्ण शिवालयों में से गेपरनाथ शिवालय अपना विशिष्ट स्थान रखता है। कोटा नगर से 22 किलोमीटर दूर कोटा-रावतभाटा मार्ग पर ग्राम रथकांकरा के समीप चंबल घाटी में लगभग तीन सौ फीट गहराई में स्थित गेपरनाथ महादेव का मंदिर अपने अनुपम प्राकृतिक वातावरण, चट्टानों से निकलते हुए अनेक झरनों की लय के मध्य अपनी प्राकृतिक उन्मुक्तता के साथ दर्शकों को आकर्षित करता है।
विभीषण मंदिर
- कोटा से 16 किलोमीटर दूर कोथून कस्बे में स्थित यह मंदिर तीसरी से पाँचवीं शताब्दी के मध्य का बताया जाता है।
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