Skip to content
सिरोही जिले में पर्यटन की द्ष्टि से महत्वपूर्ण दर्शनिक स्थल
जिला-सिरोही
सारणेश्वर महादेव
- सिरोही से लगभग तीन किलोमीटर दूर देवड़ा राजकुल का भव्य सारणेश्वर महादेव मंदिर है। इसमें एक दूधिया तालाब भी है जिसके पास ही सिरोही राजघराने की छतरियाँ हैं।
सूर्य मंदिर
- सिरोही जिले के विभिन्न स्थलों पर सूर्य मंदिर है जिनमें अनादरा, बसंतगढ़, वासा, मूंगथला एवं पिण्डवाड़ा के सूर्य मंदिर मुख्य हैं।
बसतगढ़
- पिण्डवाड़ा रेलवे स्टेशन के पास ही बसंतगढ़ दुर्ग के खण्डर हैं। यह दुर्ग अरावली पर्वतमाला की उन्हीं पहाड़ियों पर स्थित है जिन पर आगे कुंभलगढ़ है। दुर्ग के अंदर कई प्राचीन मंदिर हैं जिनमें ब्रह्मा जी का मंदिर उल्लेखनीय है।
अजारी
- यह पिण्डवाड़ा तहसील का एक छोटा-सा ग्राम है। गाँव के उत्तरपश्चिम में महादेव जी का एक मंदिर है। कहा जाता है कि मार्कण्डेय ऋषि ने यहाँ तप किया था। यहाँ भगवान विष्णु तथा सरस्वती की प्रतिमाएँ हैं।
देरासरी
- यह स्थान सिरोही रोड के पश्चिम से सरनवा पहाड़ियों के निकट | है। यहाँ पर चौदह जैन मंदिर हैं जो अपने शिल्प के कारण प्रसिद्ध हैं।
रोहिडा
- यह पिण्डवाड़ा तहसील का एक गाँव है जो सिरोही रोड जाने वाले मार्ग पर स्थित है। यहाँ पर पुरातत्व महत्त्व के तीन मंदिर है जिनमें से एक गाँव में ही स्थित है तथा शेष दो गाँव के बाहर स्थित हैं। इनमें से एक विष्णु, दूसरा राजेश्वर महादेव और तीसरा लक्ष्मीनारायण मंदिर है।
वासा
- ग्यारहवीं या बारहवीं शताब्दी में निर्मित एक सुंदर सूर्य मंदिर पिण्डवाड़ा तहसील के वासा ग्राम में है। इसके अलावा नादिया, दियाणा, लोटाणा, मूंगथला एवं बामण बाड़ जी के जैन मंदिर दर्शनीय हैं।
माउंट आबू
नक्की झील
- आबू पर्वत का सर्वोत्तम रमणीक स्थल है नक्की झील। नौका विहार तथा पिकनिक के लिए यह अति उत्तम स्थल है। झील के किनारे रघुनाथ मंदिर, टॉड रॉक, नन रॉक, हस्तीगुफा, चम्पागुफा, रामझरोखा गुफा एवं पैरेंट रॉक दर्शनीय हैं।
दिलवाड़ा जैन मंदिर
- नक्की झील से ढाई किलोमीटर दूर अचलगढ़ के पास हैं दिलवाड़ा मंदिर 11वीं एवं 12वीं शताब्दी में निर्मित ये मंदिर स्थापत्य एवं मूर्तिकला के अनुपम उदाहरण हैं। यह पाँच मंदिरों का समूह है जिनमें से दो विमलवसहि तथा तेजपाल के मंदिर अधिक प्रसिद्ध हैं। अर्बुदा देवी का मंदिर
- आबू पर्वत की आवासीय बस्ती के उत्तर की ओर यह एक ऐतिहासिक मंदिर है। यहाँ प्रतिष्ठित अर्बुदा देवी आबू की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजी जाती है। इसे अधर देवी भी कहते हैं।
गुरु शिखर
- अरावली पर्वत श्रृंखला का सर्वोच्च शिखर आबू पर्वत आवासीय बस्ती से कोई 15 किलोमीटर दूर स्थित है। सर्वोच्च शिखर पर भगवान विष्णु के अवतार गुरु दत्तात्रेय एवं भगवान शिव के मंदिर हैं। यहाँ बड़े आकार का प्राचीन घंटा भी है जिस पर सन् 1411 का लेख अंकित है। यहीं दूसरी चोटी पर गुरु दत्तात्रेय की माता जी का मंदिर भी दर्शनीय है। 14वीं शताब्दी के धर्म सुधारक स्वामी रामानंद के चरण चिह्न भी यहाँ स्थापित हैं।
अचलेश्वर मंदिर
- नक्की झील से लगभग 12 किलोमीटर दूर अचलेश्वर महादेव का प्राचीन एवं विख्यात मंदिर है। मंदिर में शिवलिंग अथवा शिव प्रतिमा नहीं है बल्कि शिवजी का अंगूठा है। यहीं एक गहरा खड्डा है जो ‘ब्रह्मा खड्डा’ कहलाता है।
अचलेश्वर मंदिर के पास मंदाकिनी कुण्ड है। इसका जल गंगाजल की तरह पवित्र माना जाता है। इससे कुछ ऊपर की ओर अचलगढ़ का प्राचीन किला है जो ईस्वी सन् 900 के आसपास परमार राजाओं द्वारा बनवाया गया था।
गौमुख एवं वशिष्ठ आश्रम
- आबू से 10 किलोमीटर दूर गौमुख स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए लगभग 700 सीढ़ियाँ नीचे उतरना पड़ता है। यही वह अग्निकुण्ड है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहाँ वशिष्ठ मुनि ने अग्निवंशी क्षत्रियों को उत्पन्न किया था। यहाँ पर वशिष्ठ का पुराना मंदिर है जिसमें वशिष्ठ के साथ राम-लक्ष्मण की मूर्तियाँ भी प्रतिष्ठापित हैं।