बल (Force) Or बल के प्रकार ( Types of Force )
बल (Force)
- किसी वस्तु को खींचने या धकेलने में किया गया कार्य बल कहलाता है। बल की दिशा वेग की दिशा के लम्बवत होती है।
- (बल = द्रव्यमान x त्वरण)
- बल का मात्रक ‘डाइन’ व ‘न्यूटन’ होता है। (1 न्यूटन = 105 डाइन)
बल के प्रकार –
(1). गुरूत्वाकर्षण बल-
- वह बल जो पृथ्वी की ओर खींचता है अर्थात् पृथ्वी की ओर आर्कषित बल गुरूत्वाकर्षण बल कहलाता है। इसी बल के कारण चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा तथा पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है |
(2). विद्युत चुम्बकीय बल-
- यह दो प्रकार का होता है !
(a). स्थिर विद्युत बल- दो स्थिर बिन्दु आवेशों के बीच लगने वाला बल।
(b). चुम्बकीय बल- दो चुम्बकीय ध्रुवों के बीच लगने वाला बल ।
(3). केन्द्रीय बल-
- यह स्थिति पर निर्भर करने वाले बल की दिशा हमेशा एक निश्चित बिन्दु की ओर होती है जैसे सूर्य और पृथ्वी, नाभिक और इलेक्ट्रॉन के मध्य।
(4) स्प्रिंग बल-
- यह स्प्रिंग की लम्बाई में होने वाले परिवर्तन का विरोध करता है।
(5) बल आघूर्ण –
- बल द्वारा एक पिंड को एक अक्ष के परितः (इर्द-गिर्द) घुमाने की प्रवृत्ति को बल आघूर्ण कहते हैं। बल आघूर्ण एक सदिश राशि हैं जिसका मात्रक – न्यूटन मीटर होता हैं।
सरल लोलक –
- इसी सिद्धांत पर कार्य करता हैं। अन्य उपकरण जो बल आघूर्ण के सिद्धांत पर कार्य करते हैं – जैसे उत्तोलक, स्क्रू का घुमाना, घिरनी, दरवाजे को खोलना या बंद करना, हैंडपंप से पानी खींचना आदि।
(6) अभिकेन्द्रीय बल-
- वृत्तीय पथ पर गति करते हुए पिंड पर दो प्रकार के बल कार्य करते हैं। दोनो परिमाण में बराबर एवं प्रकृति में एक दूसरे के विपरीत दिशा में कार्यरत होत । हैं। अर्थात् एक दूसरे को संतुलित किये हुए रहते हैं।
दैनिक जीवन में इन बलों के व्यावहारिक उदाहरण–
अभिकेन्द्रीय बल के उदाहरण –
- पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर या चंद्रमा का पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाना।
- साइकिल सवार मोड़ पर अपने केंद्र की तरफ मोड़ता है।
- आकाश में उड़ते हवाई जहाज क्षैतिज तल में मुड़ते समय कछ तिरछा इसी कारण हो जाता हैं।
- कीचड़ पर तेजी से चलती मोटरसाइकिल पहिये से चिपर ऊपर की ओर फेंक दिये जाते हैं अत: मङमांई लगाये जाते हैं।
- मोड़ पर बाहर से सड़के कुछ ऊपर उठी हुई बनाई जाती हैं ताकि आवश्यक अभिकेंद्रीय बल प्राप्त हो सकें।
अपकेन्द्रीय बल के उदाहरण –
- कपड़ा धोने की मशीन की क्रिया।
- दूध से मक्खन निकालने की क्रिया इसी बल के कारण होती हैं। सर्कस में मौत के कुएं में मोटरसाइकिल का संतुलन बनाए रखना।
- रूधिर जांचों में Blood cells को पृथक करना। वृत्तीय पथ पर गति करते पिंड का दूर जाकर गिरना, जब धागा टूटता हैं।
घर्षण बल –
- जब दो वस्तुएं एक दूसरे के संपर्क में हो तथा जब उनके बीच सापेक्ष गति होती है तो दोनों की संपर्क सतहों के बीच एक बल कार्य करता हैं। जिसे घर्षण बल कहते हैं।
नोट – यह बल वस्तुओं के बीच आण्विक अन्योन्य क्रिया के कारण उत्पन्न होता हैं खुरदरी सतह पर अधिक व चिकनी सतह पर यह बल कम उत्पन्न होता हैं।
संसजक बल
- एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाला बल संसजक बल कहलाता हैं। जबकि भिन्न-भिन्न पदार्थो के मध्य लगने वाला, आसंजक बल कहलाता हैं।
- दैनिक जीवन में इनके व्यावहारिक उदाहरण – संसजक बल के कारण ही किसी द्रव की बूंदे संपर्क में आते ही मिलकर एक हो जाती हैं। जल से भीगी कांच की प्लेटो को अलग करने में कठिनाई उत्पन्न होती हैं। क्योंकि संसजक बल के विरूद्ध कार्य करना पड़ता हैं।
नोट- जिन पदार्थो के संसजक बल का मान, आसंजक बल से अधिक होगा वे किसी भी पात्र में डालने पर पात्र की दीवारों को गिला नहीं करेंगे जैसे – पारा, कांच को गीला नहीं करता हैं क्योंकि पारे के अणुओं के मध्य बल (ससंजक बल) का मान पारे व कांच के अणुओं के मध्य (आसंजक बल) से अधिक होता हैं। वह अधिकतम दूरी (10 मीटर) जिस पर दो अणु एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं आण्विक परास कहलाता हैं।