श्रीगंगानगर or हनुमानगढ़ जिले में पर्यटन स्थल
जिला-श्रीगंगानगर
गुरुदारा बुड्ढा जोहड़
- जिले के रायसिंह नगर कस्बे के पास स्थित गुरुद्वारा बुड्ढ़ा जोहड़ राजस्थान के गुरुद्वारों में प्रमुख स्थान रखता है। इस गुरुद्वारे का निर्माण सन् 1954 में संत बाबा फतेहसिंह की देखरेख में शुरू हुआ। यहाँ पर हर माह की अमावस्या को मेला लगता है। श्रावण मास की अमावस्या को बड़ा मेला लगता है।
डाडा पम्पाराम का डेरा
- यह पावन स्थल इस क्षेत्र में विजयनगर कस्बे में स्थित है। पम्पारामजी के समाधि स्थल पर प्रतिवर्ष फाल्गुन माह में सात दिवसीय भव्य मेला लगता है।
जिला-हनुमानगढ़
भटनेर का दुर्ग
- घग्घर नदी के तट पर बना हनुमानगढ़ का भटनेर दुर्ग राजस्थान के इतिहास में अपना विशिष्ट महत्त्व रखता है। इस दुर्ग का निर्माण श्री कृष्ण की 90वीं पीढ़ी में जन्मे जैसलमेर के राजा भाटी के पुत्र भूपत ने ईसवी सन् 295 में करवाया था। इसका नाम भूपत ने अपने पिता की स्मृति में ‘भटनेर’ रखा।
- भटनेर का सर्वाधिक महत्त्व दिल्ली-मुल्तान मार्ग पर स्थित होने की वजह से था। भटनेर पर कालान्तर में जलालुद्दीन बुखारी के पुत्र कुतुबुद्दीन ऐबक, तैमूर व अकबर का भी आधिपत्य रहा। तैमूर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-तैमूरी’ में यहाँ तक लिखा कि उसने इतना मजबूत व सुरक्षित किला पूरे हिन्दुस्तान में कहीं नहीं देखा। सन् 1805 में बीकानेर क राजा सूरतसिंह ने भाटियों को हराकर पुनः भटनेर पर अपना आधिपत्य कायम किया। चूँकि विजय के दिन मंगलवार था, इसीलिए र का नाम हनुमानजी के नाम पर ‘हनुमानगढ़’ रख दिया गया।
गोगामेड़ी
- कहा भी गया है कि “गाँव-गाँव खेजड़ी न्ह गाँव-गाँव गोगो’ मुख्य थान’ (मंदिर) जिसे ‘गोगाजी की मेड़ी’ कहा जाता है, नगढ़ जिले की नोहर तहसील में है। गोगाजी, ददरेवा (चूरू) के शासक जेवरजी के पुत्र थे।
संगरिया संग्रहालय
- हनुमानगढ़ जिला मख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर हरियाणा राज्य की सीमा से सटे संगरिया कस्बे में स्थित सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय जिले का प्रमुख संग्रहालय है, जो शिक्षाविद् संत स्वामी केशवानन्द की देन है।
प्राचीन सरस्वती और दृषद्धती घाटी में अनूपगढ़ के पास तखाने वाला डेरा तथा पीलीबंगा तहसील में कालीबंगा नामक स्थानों पर हड़प्पा के समान ही एक विकसित सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
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