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प्रतापगढ़ जिले में पर्यटन की द्ष्टि से महत्वपूर्ण दर्शनिक स्थल
जिला-प्रतापगढ़
- 26 जनवरी, 2008 को राजस्थान के तैंतीसवें जिले प्रतापगढ़ का गठन किया गया। नये जिले ने 1 अप्रैल, 2008 से कार्यारम्भ किया है। राज्य सरकार द्वारा गठित परमेशचन्द्र समिति ने आदिवासी बहल प्रतापगढ़ क्षेत्र को राजस्थान का 33वाँ जिला बनाने की सिफारिश की थी। वर्ष 2007-08 के बजट में राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने प्रतापगढ़ जिले की रूपरेखा प्रस्तुत की थी। 26 जनवरी, 2008 को अजमेर में आयोजित राज्य स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्यमंत्री ने प्रतापगढ़ जिले के गठन की घोषणा की। नवगठित प्रतापगढ़ जिले में पूर्ववर्ती चित्तौड़गढ़ जिले की तीन तहसीलें प्रतापगढ़ अरनोद एवं छोटी सादड़ी, उदयपुर जिले की धरियावद तहसील तथा बाँसवाड़ा जिले की पीपलखूट तहसील को सम्मिलित किया गया हैं।
प्रतापगढ़ नगर
- देवलिया के शासक महारावत प्रतापसिंह ने ‘डोडेरिया का खेड़ा’ नामक गाँव के स्थान पर 1698 ई. में प्रतापगढ़ नगर बसाया। महारावत सालिमसिंह ने प्रतापगढ़ के चारों ओर कोट बनवाया। इस कोट में सूरजपोल, भाटपुरा दरवाजा, बारी दरवाजा, देवलिया दरवाजा, धमोत्तर दरवाजा एवं नया दरवाजा नामक छः दरवाजे हैं। नगर के मध्य में महारावत उदयसिंह द्वारा निर्मित ‘उदय विलास महल’ स्थित है। निकट ही कंपू कोठी एवं दीपनाथ महादेव मंदिर भी दर्शनीय हैं।
जानागढ़ दुर्ग
- प्रतापगढ़ नगर के दक्षिण पश्चिम में मालवा के जान आलम द्वारा निर्मित पुराना किला स्थित हैं।
गौतमेश्वर
- अरनोद के निकट स्थित आदिवासियों का तीर्थ स्थल, जहाँ पर गौतम ऋषि का मंदिर है। यहाँ पर प्रतिवर्ष वैशाख पूर्णिमा को मेला भरता है। यहाँ पर गौतमेश्वर कुण्ड एवं जलप्रपात मनोहारी है। घोटासी
- इस प्राचीन नगर का संस्कृत साहित्य में नाम घोंटावर्पिका मिलता है। यहाँ पर भैरूजी का प्राचीन मंदिर है।
वीरपुर
- यह गाँव प्राचीन जैन मंदिर के लिए जाना जाता है।
भचूंडला
- यहाँ पर एक प्राचीन गरुडारूढ़ विष्णु मंदिर, शिवलिंग एवं यज्ञ वेदिका दर्शनीय है।
शेवना
- प्राचीनकाल में यह स्थान शिवनगरी के नाम से जाना जाता था। यहाँ पर भूगर्भ में बना प्राचीन महाकाल मंदिर दर्शनीय हैं।
अन्य महत्त्वपूर्ण दर्शनीय स्थल
- बाणमाता का मंदिर, रामकृष्ण मंदिर, कालिका माता का प्राचीन मंदिर, छोटी माँजी साहिबा का किला, भमोत्तर जैन तीर्थ, सोती के हनुमानजी।
- प्रतापगढ़ जिले में सरीपीपली एवं सालिमगढ़ के हाट बाजार प्रसिद्ध हैं, जहाँ पर आदिवासी लोग हस्तशिल्प की वस्तुएँ बेचते हैं।
- सीतामाता वन्य जीव अभयारण्य का कुछ हिस्सा जिले का धरियावद तहसील में स्थित है। इन वनों में केवड़ा एवं चन्दन के वृक्षा की प्रधानता है।