नागौर जिले में पर्यटन स्थल
जिला-नागौर
नागौर दुर्ग
- सोमेश्वर चौहान के सामन्त कैमास ने विक्रम संवत् 1211 में नागौर दुर्ग का निर्माण करवाया था। इसकी प्राचीर में 28 विशाल बुर्जे बनी हुई हैं। यह किला दोहरे परकोटे में बहुत ही सुदृढ़ बना हुआ है।
राव अमर सिंह राठौड़ की छतरी
- नागौर में झड़ा तालाब पर स्थित 16 कलात्मक स्तम्भों से बनी राव अमरसिंह राठौड़ की छतरी दर्शनीय है।
सूफी संत की दरगाह
- 52 फीट ऊँचे बुलंद दरवाजे की भव्यता लिये सूफी संत हमीदुद्दीन सुल्ताने तारेकीन साहब की दरगाह ‘गिनाणी तालाब’ के पास स्थित है।
मेड़ता
- नागौर जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दक्षिण में बसा है मेड़ता। इसकी स्थापना सन् 1488 ई. में राव जोधा के चौथे पुत्र राव दूदा ने की थी। यहाँ पर भक्त शिरोमणि मीराबाई का विशाल मंदिर है। शहर के मध्य बने इस मंदिर का नाम चारभुजानाथ मंदिर भी है जिसका निर्माण मीराबाई के पितामह राव दूदा द्वारा करवाया गया था। मीरा की क्रीड़ास्थली का गौरव भी इस भूमि को प्राप्त है।
जैन विश्व भारती, लाडनूं
- जैन दर्शन के अध्ययन, जैन संस्कृति के प्रशिक्षण, अभिव्यक्ति और साधना के प्रमुख केन्द्र के रूप में लाडनूं स्थित जैन विश्व भारती विश्व भर में ख्याति प्राप्त है। अमूर्तिपूजक जैन परम्परा के युग प्रधान आचार्य श्री तुलसी की प्रेरणा से सन् 1971 में इस अध्यात्म तीर्थ की स्थापना की गई।
भंवाल माता का मंदिर
- मेड़ता शहर से करीब 22 किलोमीटर दूर भंवाल ग्राम में प्रसिद्ध भंवाल माता का मंदिर है।
दधिमति माता का मंदिर
- जिले की जायल तहसील क्षेत्र के गोठ मांगलोद ग्राम में दधिमति माता का प्राचीन मंदिर है जहाँ प्रतिवर्ष नवरात्रा में भव्य मेले का आयोजन होता है। यहाँ का शिलालेख मारवाड़ भर में प्राचीन माना जाता है।
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