डूंगरपुर जिले में पर्यटन स्थल
जिला-डूंगरपुर
गैप सागर
- डूंगरपुर शहर के सौन्दर्य में चार चांद लगाता है गैप सागर नामक जलाशय जो स्थापत्य कला के चतुर चितेरे महारावल गोपीनाथ द्वारा बनवाया गया। इसके तट पर अवस्थित महाराव उदयसिंह द्वारा बनवाया गया उदय विलास महल तथा विजय राज राजेश्वर मंदिर स्थापत्य के अद्भुत नमूने हैं।
श्रीनाथ मंदिर व फतेहगढी
- इस मंदिर का निर्माण महारावल पूंजराज ने करवाया था। गवरी बाई मंदिर और नानाभाई उद्यान एवं काली बाई उद्यान भी दर्शनीय हैं।
जूना महल
- धनमाता पहाड़ी की ढलान पर बना जूनामहल करीब 750 वर्ष पुराना है। रावल वीरसिंह ने इस सात मंजिले महल की नींव विक्रम संवत 1339 कार्तिक शुक्ल एकादशी को रखी थी।
उदयविलास पैलेस
- डूंगरपुर शहर की पूर्वी सरहद को छूता हुआ एक और अति आकर्षक महल है उदयविलास । गैप सागर के तट पर हरे-भरे बागबगीचों से आवृत्त उदयविलास पैलेस पाषाण कारीगरी का नायाब नमूना हैं।
देव सोमनाथ
- डूंगरपुर के उत्तर-पूर्व में 24 किलोमीटर दूर देवगाँव में सोम नदी के तट पर स्थित देव सोमनाथ नामक शिव मंदिर प्रमुख रूप से दर्शनीय
है।
बेणेश्वर धाम
- ‘वागड़ का पुष्कर’ और ‘वागड़ का कुम्भ’ आदि नामों से लोकप्रिय वेणेश्वर धाम सोम, माही तथा जाखम तीनों नदियों के संगम पर स्थित है। नवा टापरा ग्राम से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित बेणेश्वर धाम के लिए निकटतम बस स्टेण्ड साबला (7 किलोमीटर) में है। बेणेश्वर स्थित शिव मंदिर इस क्षेत्र के आदिवासियों के लिए सर्वाधिक पूज्य माना जाने वाला आस्था स्थल है। यहाँ हर वर्ष माघ शुक्ल एकादशी से माघ शुक्ल पूर्णिमा तक भव्य मेला लगता है जिसमें हजारों की संख्या में आदिवासी नर-नारी एवं अन्य सभी जाति के लोग भी एकत्रित होते हैं।
गलियाकोट
- यह ग्राम सैयद फखरुद्दीन की मजार के कारण प्रसिद्ध है । वार्षिक उर्स के समय हजारों दाऊदी बोहरा भक्त देश के सभी हिस्सों से यहा एकत्र होते हैं।
बड़ौदा
- यह ग्राम पूर्व में वागड़ की राजधानी था। यह ग्राम प्राचीन राजपूत वास्तुकला के अवशेषों के लिए प्रसिद्ध है।
संत मावजी का मंदिर
- डूंगरपुर से 55 किलोमीटर दूर साबला गाँव में चतुर्भुज विष्णु के कल्की अवतार व भविष्णवाणियों तथा भजनों के लिये प्रसिद्ध औदिच्य ब्राह्मण मावजी महाराज का मंदिर है।
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