झुंझुनूं जिले में पर्यटन स्थल
जिला-झुंझुनूं
झुंझुनूं शहर
- झुंझुनूं शहर में भित्ति चित्रों, स्मारकों, धार्मिक स्थलों व कलात्मक जलाशयों आदि की विविधताओं के दर्शन होते हैं। यहाँ कमरुद्दीन शाह की दरगाह’ का विशाल और विहंगम परिसर देखने लायक है। पहाड़ी पर बना ‘मनसा माता का मंदिर’ भी दर्शनीय है। ‘ईश्वदास मोदी की हवेली’ में भित्ति चित्रों की भव्यता के साथ-साथ सैकड़ों झरोखों की चित्ताकर्षक छटा देखी जा सकती है। शहर में बना ‘खेतड़ी महल’ एक प्रकार का हवा महल है तो ‘मेड़तणी बावड़ी’ और ‘बादलगढ़ का आकर्षण भी कम नहीं है।
किरोड़ी
- यहाँ उदयपुरवाटी के दानवीर शासक टोडरमल और उनके वित्तमंत्री मुनशाह के स्मारक है। एक तरफ राधा-कृष्ण का मंदिर है तो दूसरी तरफ पीर बाबा की दरगाह भी है।
लोहार्गल
- झुंझुनूं जिले के दक्षिण में जिला मुख्यालय से करीब साठ किलोमीटर दूर अरावली पर्वत श्रृंखला में स्थित यह पवित्र स्थल सीकर-नीम का थाना सड़क मार्ग पर सीकर से लगभग 35 किलोमीटर दूर है।
नरहड़ दरगाह
- झुंझुनूं से चालीस किलोमीटर दूर जयपुर-पिलानी सड़क मार्ग पर चिड़ावा से आठ किलोमीटर आगे (पिलानी की ओर) देवरोड नामक स्थान है जहाँ से दो किलोमीटर लम्बा एक अलग सड़क मार्ग नरहड़ दरगाह तक जाता है। नरहड़ के शक्कर पीर बाबा की ऐतिहासिक दरगाह में हिन्दू-मुस्लिम व सभी धर्म सम्प्रदाय के लोग बड़ी श्रद्धा के साथ आते हैं।
खेतड़ी
- प्राचीन शेखावाटी का सबसे बड़ा ठिकाना ‘खेतड़ी’ भारत की ताम्र नगरी के नाम से जाना जाता है। खेतड़ी में रामकृष्ण मिशन का मठ, भोपालगढ़ का दुर्ग, पन्नालाल शाह का तालाब, अजीत सागर, बागोर का किला, भटियानीजी का मंदिर आदि दर्शनीय स्थल हैं।
टीबा-बसई
- खेतड़ी के निकट टीबा-बसई गाँव है जहाँ बाबा रामेश्वर दास का मंदिर दर्शनीय है।
पिलानी
- पिलानी में भारत सरकार का एक उपक्रम केन्द्रीय इलेक्ट्रोनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी) भी है जो देश के विज्ञान और तकनीकी विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है। पिलानी का कि म्यजियम’ एशिया के अग्रणी संग्रहालयों में अपना स्थान रखता है। पंचवटी परिसर में मातुराम वर्मा द्वारा बनाई और तराशी गई मूर्तियाँ सैलानियों को आकर्षित करती हैं तो संगमरमर पत्थरों से बना सर मंदिर भी पर्यटकों के दिलो-दिमाग में रच-बस जाता है।
महनसर
- महनसर में पोद्दारों की ‘सोने की दुकान’ पर्यटकों का प्रमाण आकर्षण केन्द बनी हुई है। इस दुकान के भित्ति चित्रों में श्रीराम और कष्ण की लीलाओं का नयनाभिराम चित्रण है। महनसर में रघुनाथ जी पनि तोलराम मसखरा का आकर्षक भित्ति चित्रों वाला महफिल खान तथा अन्य हवेलियाँ भी दर्शनीय हैं।
मण्डावा
- शेखावाटी में सर्वाधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाला झुंझुनूं जिले का मण्डावा कस्बा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर है। मण्डावा में किला, रेत के धोरे आदि दर्शनीय हैं। चोखानी एवं लादिया हवेली सहित कई हवेलियाँ यहाँ ऐसी हैं जिनके नयनाभिराम भित्ति चित्रों को देखकर सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
इण्डलोद
- झुंझुनूं से 35 किलोमीटर (सीकर की तरफ) जयपुर-झुंझुनूं सड़क मार्ग पर स्थित डूण्डलोद कस्बा दिल्ली और जयपुर से सीधा रेल सेवा से जुड़ा है। डूण्डलोद में किला, गोयनका हवेली, गोयनका छतरी इत्यादि दर्शनीय स्थल हैं।
नवलगढ़
- नवलगढ़ का दुर्ग, रूपनिवास पैलेस, आठ हवेली, पोद्दार, पाटोदिया, भगत, चौशानी व अन्य परिवारों की हवेलियाँ, गंगामाता का मंदिर आदि नवलगढ़ के दर्शनीय स्थल हैं। लकड़ी के दरवाजों की बारीक जालियाँ भी उत्कृष्ट कला का दिग्दर्शन कराती हैं।
चिड़ावा
- यह विशाल हवेलियों के कारण प्रसिद्ध है जिनमें नंदलाल डालमिया, फूलचंद डालमिया, ताराचंद डालमिया, मंगलचंद डालमिया, दुलीचंद ककरानिया और नेमानिया की हवेली तथा ककरानियां एवं मोद्दार कुएँ देखने काबिल हैं।
कला एवं संस्कृति
- चिड़ावा के राणा परिवार का परम्परागत शैली का शेखावाटी व्याल तथा विभिन्न कस्बों में गजल गायकी की परम्परा ने भी इस जिल का नाम रोशन किया है।
- लोहार्गल में प्रति वर्ष भादवा बदी अमावस्या को एक विशाल मेला लगता है जिसमें हजारों श्रद्धालु भक्त यहाँ बने कुण्ड में स्नान करक पुण्य के भागीदार बनते हैं।
- नरहड़ ग्राम में हजरत हाफिज शक्कर बाबा शाह की प्राचीन दरगाह का मेला जन्माष्टमी के दिन लगता है।
- झुंझुनूं में मनसा देवी का मेला वर्ष में दो बार चैत्र सुदी 8 एवं आसोज सुदी 8 को लगता है जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
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