जालोर जिले में पर्यटन स्थल
जिला-जालोर
जालोर का दर्ग
- जालोर ऐतिहासिक महत्त्व का स्थान है जो प्राचीन एवं मध्यकालीन समय में जाबालिपुर’ के नाम से जाना जाता था। राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध किलों में से एक जालोर का किला, नगर के दक्षिण में एक पहाड़ी पर स्थित है। परमार राजपूतों द्वारा इस ‘स्वर्णगिरि दुर्ग’ का निर्माण करवाया गया था। यहाँ पर जैन मंदिर तथा मलिकशाह नामक एक प्रसिद्ध मुस्लिम संत का मकबरा है। इसके अतिरिक्त प्रमुख द्वार के पास एक शाही मस्जिद भी है। इसमें प्रवेश हेतु एक के बाद एक चार प्रवेश द्वार क्रमशः ‘सूरज पोल’, ‘ध्रुवपोल’, ‘चाँदपोल’ और ‘सिरपोल’ हैं। दुर्ग में बना महाराजा मानसिंह का महल अपने समय का जीवंत दस्तावेज है।
तोपखाना
- जालोर में जहाँ आजकल तोपखाना है, वह वस्तुतः परमार राजा भोज द्वारा बनवाई गई संस्कृत पाठशाला है जो कि धार की भोजशाला की अनुकृति जान पड़ती है जिसे ‘सरस्वती कण्ठाभरण पाठशाला’ के नाम से जाना जाता है। रियासत काल में इसमें जोधपुर राज्य की तोपें रखी जाती थीं और तभी से इसका नाम तोपखाना पड़ा।
सुन्धा माता मंदिर
- अरावली पर्वतशृंखला में 1400 फुट की ऊँचाई के पर्वत, चामुण्डा देवी का प्रख्यात मंदिर जालोर जिले का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह स्थान जसवंतपुरा ग्राम से 10 किलोमीटर दूर है। यहाँ क वातावरण अत्यन्त रमणीक है। वर्ष भर झरना बहता है। यहाँ । राजस्थान का पहला रोप वे’ कार्यरत है।
भीनमाल का वराह मंदिर
- जालोर से 72 किलोमीटर दूर भीनमाल कस्बे में स्थित वराह श्याम का मंदिर भारत के अति प्राचीन गिने-चुने वराह श्याम-मंदिरों में से एक है।
आशापुरा मंदिर (मोदरा)
- समदड़ी-भीलड़ी रेलमार्ग पर मोदराँ में महोदरी माता का अति प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। मार्कण्डेय पुराण के दुर्गा सप्तशती नामक भाग में भगवती दुर्गा का महोदरी अर्थात बड़े पेट वाली नाम वर्णित है। सोनगरा चौहानों की जो शाखा नाडोल से उठकर जालोर आई थी, आशापुरा उनकी कुलदेवी है।
सिरे मंदिर
- जालोर दुर्ग की निकटवर्ती पहाड़ियों में स्थित सिरे मंदिर नाथ सम्प्रदाय के प्रसिद्ध ऋषि जालन्धरनाथ की तपोभूमि है। वर्तमान मंदिर का निर्माण मारवाड़ रियासत के तत्कालीन शासक राजा मानसिंह ने करवाया था। यहाँ रत्नेश्वर महादेव, झालरा, भव्य हस्ति प्रतिमा, मंदिर का अभेद्य परकोटा, जनाना व मर्दाना महल, भूल-भुलैया, चन्दरकूप आदि बड़े दर्शनीय एवं आकर्षक स्थल हैं।
सेवाड़ा मंदिर
- रानीवाड़ा-सांचोर मार्ग पर यह अत्यन्त प्राचीन शिव मंदिर आज जीर्णशीर्ण अवस्था में है।
माण्डोली का गुरु मंदिर
- जैन गुरुवर शांति सूरीश्वर का यह मंदिर भारतभर के जैन मतावलम्बियों के लिए अत्यन्त श्रद्धा एवं विश्वास का केन्द्र है।
इने भी जरूर पढ़े –
राजस्थान के महत्वपूर्ण दर्शनिक स्थल
आपने बहुत अच्छी जानकारी प्रदान की है पढ़कर बहुत अच्छा लगा उम्मीद हे की आप हमे आगे भी इसी जानकारियां देते रहेंगे धन्यवाद
Nice