कैलेण्डर ( Calander ) Notes PDF in Hindi
कैलेण्डर ( Calander )
- महत्वपूर्ण तथ्य विश्व में सर्वाधिक प्रचलित कैलेण्डर को ग्रिगेरियन कैलेण्डर के नाम से जाना जाता है। इसके प्रारंभ होने के पीछे एक लंबी कहानी है।
- प्राचीन रोम कैलेण्डर में एक वर्ष में 304 दिन होते थे एवं 10 महीनों के मध्य इनका अनियमित बँटवारा था। जूलियस सीजर ने इस कैलेण्डर में 66 दिन और जोड़ दिए और वर्षों को 12 महीनों में बाँट दिया। यह कैलेण्डर जूलियस कैलेण्डर के नाम से विख्यात हुआ।
- सम्राट ऑगस्टस ने भी कैलेण्डर में व्यापक संशोधन किए, परंतु असुविधाजनक विभाजन के कारण यह अधिक लोकप्रिय नहीं हो सका
- लगभग 1500 वर्षों के पश्चात्, रोम के 13वें पोप ग्रेगरी ने इस कैलेण्डर में व्यापक संशोधन किए। उन्होंने जीजस क्राइस्ट की जन्मतिथि 1 जनवरी सन् 1 मानते हुए, उसी दिन से अपने कैलेण्डर को आरंभ किया तथा इसे 12 महीनों में बाँटा। पोप ग्रेगरी ने ही लीप वर्ष की नयी अवधारणा को जन्म दिया। सन् 1752 में संपूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य में इसका प्रयोग प्रारंभ किया और तब से लेकर आज तक इसका महत्त्व बढ़ता गया।
- राष्ट्रीय पंचाग-देश आजाद होने के बाद नवंबर 1952 में वैज्ञानिक और औद्योगिक परिषद् के द्वारा पंचांग सुधार समिति का गठन किया गया।
- पंचांग सुधार समिति ने 1955 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में विक्रमी संवत को भी स्वीकार करने की सिफारिश की थी।
- तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के आग्रह पर ग्रिगेरियन कैलेण्डर को ही सरकारी कामकाज हेतु उपयुक्त मानकर 22 मार्च, 1957 को इसे राष्ट्रीय कैलेण्डर के रुप में स्वीकार कर लिया गया।
- ग्रिगैरियन कैलेण्डर के साथ-साथ संपूर्ण भारत के लिए एक राष्ट्रीय पंचांग को 22 मार्च 1957 (शक संवत 1879) को अपनाया गया, जो शक संवत पर आधारित है।
- राष्ट्रीय पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 12 महीने होते है, जिसका पहला महीना चैत्र होता है और सामान्य वर्ष 365 दिन का होता है। 12 महीने निम्न प्रकार है
1. चैत्र 2. वैशाख 3. ज्येष्ठ 4. आषाढ़ 5. श्रावण 6. भाद्रपद 7. आश्विन 8. कार्तिक 9. अग्रहायण 10. पौष 11. मार्गशीर्ष 12. फाल्गुन
- राष्ट्रीय पंचांग और निगैरियन कैलण्डर की तारीखों में स्थायी सादृश्यता होती है। राष्टीय पंचांग के अनसार वर्ष का प्रारंभ चैत्र प्रथमा तिथि को होता है, जो ग्रिगैरियन कैलेण्डर के अनुसार सामान्य वर्ष में 22 मार्च को तथा लीप वर्ष में 23 मार्च को प्रारंभ होता है।
- विषम दिन:- सात दिनों से मिलकर एक सप्ताह या हफ्ता बनता है। इन दिनों के बाद ऐसे दिन जो पूर्ण सप्ताह का निर्माण नहीं करते विषम दिन या अतिरिक्त दिन कहलाते है।
विषम दिन ज्ञात करना-दिए गए दिनों की संख्या यदि 7 से अधिक हो तो| उसमें 7 का भाग दिया जाता है। भाग देने पर जो शेषफल आता है वही हमारे विषम दिन होते है। इनकी संख्या 1 से लेकर 6 तक हो सकती है।
दी गई दिनांक का वार ज्ञात करना- इसके लिए जिस तारीख का वार ज्ञात है, उस तारीख से पूछी गई तारीख के बीच के विषम दिन ज्ञात किये जाते है। जितने दिन विषम होते है उतने दिन आग या पीछे बढ़ा जाता है।
उदाहरण- यदि 5 अगस्त को शुक्रवार है तो 30 अगस्त को क्या होगा?
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हल-5 अगस्त से 30 अगस्त के मध्य कुल दिन =30-5325
25,7 से बड़ी संख्या अतः इसमें 7 का भाग देने पर शेषफल 4 आता है। अब दिए गए वार शुक्रवार से 4 दिन आगे बढ़ने पर मंगलवार आएगा। अतः 30 अगस्त को मंगलवार होगा।
शुक्रवार-→शनिवार-रविवार-सोमवार-मंगलवार
25,7 से बड़ी संख्या अतः इसमें 7 का भाग देने पर शेषफल 4 आता है। अब दिए गए वार शुक्रवार से 4 दिन आगे बढ़ने पर मंगलवार आएगा। अतः 30 अगस्त को मंगलवार होगा।
शुक्रवार-→शनिवार-रविवार-सोमवार-मंगलवार
माह से संबंधित तथ्य
- एक साधारण वर्ष में कुल 7 महीने (जनवरी, मार्च, मई, जुलाई, अगस्त, अक्टूबर, दिसंबर) 31 दिन के होते है अतः इनमें विषम दिनों की संख्या 31 होती है। ये महीने जिस वार से प्रारंभ होते है उससे आगे के दो दिन बाद समाप्त होते है।
2. एक साधारण वर्ष में 4 महीने 30 दिन के होते है अतः इनमें विषम दिनों की संख्या 2 होती है। ये महीने जिस वार को प्रारंभ होते है उससे अगले दिन समाप्त होते है।
3. एक लीप वर्ष में फरवरी माह 29 दिन का होता है अतः इसमें विषम दिनों की संख्या होती है। ये माह जिस दिन प्रारंभ होता है उसी दिन समाप्त होते है।
4. एक साधारण वर्ष में फरवरी माह 28 दिन का होता है अतः इसमें विषम दिनों की संख्या 0 होती है। ये माह जिस दिन प्रारंभ होता है उससे एक दिन पहले समाप्त होता है।
वर्षों से संबंधित तथ्य
- एक साधारण वर्ष में कुल 365 दिन या 52 सप्ताह + 1 दिन होते है।। अतः ये वर्ष जिस दिन प्रारंभ होते है उसी दिन समाप्त होते है। साधारण वर्ष। में 1 जनवरी को जो वार होता है वह पूरे वर्ष में 53 बार जबकि अन्य दिन 152 बार आते है।
2. एक लीप वर्ष में कुल 366 दिन या 52 सप्ताह + 2 विषम दिन होते। है अतः ये वर्ष जिस दिन प्रारंभ होते है उससे अगले दिन समाप्त होते है। लीप वर्ष में 1 तथा 2 जनवरी को जो वार होते है वे परे वर्ष में 53 बार जबकि अन्य दिन 52 बार आते है।
लीप वर्ष या अधिवर्ष:- यदि दिए गए सन के इकाई दहाई अंक में 4 का पूरा-पूरा भाग जाता है तो वर्ष लीप वर्ष कहलाता है। लीप वर्ष हर चौथे साल में आता है तथा लीप वर्ष के फरवरी माह में कुल 29 दिन होते है।।
शताब्दी लीप वर्ष-यदि दिए गया वर्ष शताब्दी होता तो उसमें 4 का भाग | ना देकर 400 का भाग दिया जाता है तथा वह वर्ष शताब्दी लीप वर्ष कहलाता है। यह हर 400 साल में एक बार आता है। उदाहरण-800, 1200,2000
रीजनिंग कैलेंडर क्वेश्चन इन हिंदी PDF
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